कोरोना से ठीक होने के बाद ब्रेन फॉग की समस्या से जूझ रहे हैं लोग, जानें इसके लक्षण और कारण
कोरोना से ठीक होने के बाद ब्रेन फॉग की समस्या से जूझ रहे हैं लोग, जानें इसके लक्षण और कारण
नई दिल्ली। कोविड-19 संक्रमण से रिकवरी के बाद लोग कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों से गुज़रते हैं। इन्हीं में से एक दिमाग़ से जुड़ी है, जिसे ब्रेन फॉग कहा जाता है। दुनियाभर में ऐसे कई लोग हैं, जो कोविड से ठीक होने के बाद इस समस्या से जूझ रहे हैं।
ब्रेन फॉग क्या होता है? इसके समझाने का सबसे आसान तरीका यही कि यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें आप ऐसा महसूस करते हैं कि आप पहले जैसे नहीं रहे। यह वास्तव में आपके दिमाग़ का आपको यह बताने का तरीका है कि कुछ सही नहीं है। यह स्थिति अलग-अलग लोगों को अलग तरह से प्रभावित कर सकती है। इसमें आपको बात करते वक्त सही शब्द न मिलना, मूड ख़राब रहना, ऊर्जा की कमी महसूस होना या फिर चीजों को अक्सर भूल जाना।
अच्छी बात यह है कि यह समस्या कुछ समय के लिए परेशान करतती है और लाइफस्टाइल में सही बदलाव से आप अपने दिमाग़ को सही रास्ते पर ला सकते हैं। तो आइए जानें ऐसे 5 तरीके जिनकी मदद से आप ब्रेन फॉग को दूर कर सकते हैं।
अपनी डाइट में बदलाव करें
अगर आपकी आंत की सेहत अच्छी नहीं है, तो इसका सीधा असर आपके दिमाग़ पर भी पड़ता है। ऐसी कई रिसर्च हुई हैं, जिससे पता चलता है कि चीनी और प्रोसेस्ड फूड्स आंतों में ख़राब बैक्टीरिया को ज़िंदा रखने में मदद करते हैं। जो न सिर्फ शरीर बल्कि दिमाग़ में भी सूजन का कारण बनता है। इसलिए कार्ब्ज़ या चीनी से भरपूर खाने के बाद आपको नींद आ जाती होगी। यह थकावट सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक भी होती है। इसके लिए एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि आप अपनी डाइट में एंटीइंफ्लामेटरी फूड्स ज़रूर शामिल करें।
तनाव को कम करें
आजकल टीवी, सोशल मीडिया, वॉट्सएप और ईमेल की वजह से हमारे दिमाग़ पर लगातार दबाव बना रहता है। जिसकी वजह से दिमाग़ थक जाता है। जब आपके ऊपर काफी दबाव हो, यानी एक साथ कई चीज़ें कर रहे हों, आपके दिमाग़ में कई सारी चीज़ें चल रही हों, तो इसका असर दिमाग़ की सेहत पर पड़ता ही है।
एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं, कि अपने दिमाग़ पर एक साथ इतना काम डालने से बेहतर है, कि आप हर 90 मिनट के बाद ब्रेक लें। इस दौरान पानी पिएं, टहल लें, फोन पर बात कर लें, जिससे आपके दिमाग़ की ऊर्जा बढ़ेगी और तनाव कम होगा।
इस दौरान ध्यान करना भी फायदेमंद साबित हो सकता है। एक्सपर्ट्स की सलाह है कि रोज़ाना 12 मिनट के लिए ध्यान ज़रूर करें। साथ ही कुछ घंटों के लिए फोन को कहीं और रख दें ताकि ज़रूरत से ज़्यादा जानकारी से आपका दिमाग़ बचा रहे।
सोने की आदत में सुधार करें
अगर एक रात भी आपकी नींद पूरी न हो, तो आप अगले दिन अच्छा महसूस नहीं करेंगे। साथ ही नींद का पैटर्न अगर सही न हो, तो आपका दिमाग़ भी सही तरीके से काम नहीं करेगा। साल 2020 में स्टैनफॉर्ड में हुए शोध में देखा गया कि सुबह सूरज उगते वक्त कुछ देर के लिए घर से बाहर निकलें, टहलें या फिर एक्सरसाइज़ करें, फिर शाम में सूरज की ढलने से पहले भी ऐसा करें, तो आपका स्लीपिंग पैटर्न ठीक हो जाएगा। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्राकृतिक रौशनी और सोने व उठने के साइकल से जुड़ी होती है, यह आपके दिमाग़ को सेल्फ क्लीन मोड में लाती है, और आप ब्रेन-फॉग जैसे दिक्कतों से बाहर निकल पाते हैं।
वर्कआउट करें
कुछ देर वर्कआउट करने से आपके शरीर में ख़ून और ऑक्सीजन का फ्लो बढ़ता है। यानी एक्सरसाइज़ से आपके दिमाग़ को ज़रूरी बूस्ट मिलता है। जिससे आपका दिमाग़ तेज़ी से काम करता है। अच्छी बात यह है कि इसके लिए आपको भारी-भरकम वर्कआउट की ज़रूरत नहीं है, सिर्फ आधा घंटा वॉक करेंगे, तो भी आपका ब्रेन रिसेट हो जाएगा।
दिमाग़ का इस्तेमाल करने वाले गेम खेलें
दिमाग़ को तेज़ करने के लिए आपको उसका ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करना होगा। यानी दिमाग़ का जितना इस्तेमाल करेंगे वो उतना ही तेज़ होगा। तो टीवी, मोबाइल, टैब को बंद करें और कुछ घंटे सोलीटेयर, क्रॉसवर्ड या बोर्ड गेम्स खेलें। इसके अलावा आप कुछ नया खेल भी सीख सकते हैं-जिसमें ज़्यादा स्ट्रेस न हो।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।